गैर-RAS अधिकारियों का IAS में प्रमोशन
गैर-RAS अधिकारियों का IAS में प्रमोशन और RAS एसोसिएशन को जुर्माना लगाने से संबंधित यह मामला बहुत अहम है और इससे राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) और भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के बीच के प्रमोशन और अधिकारों के संबंधों में स्पष्टता आती है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:
1. सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में गैर-RAS अधिकारियों को IAS में प्रमोशन देने का रास्ता साफ कर दिया। इसका मतलब है कि अब जो अधिकारी RAS के तहत काम कर रहे हैं, वे IAS में प्रमोट हो सकते हैं, लेकिन इस फैसले के बाद यह स्पष्ट हुआ कि ये प्रमोशन प्रक्रिया कानूनी रूप से सही है और इसमें कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए। इससे RAS अधिकारियों के बीच एक तरह की असंतोष की स्थिति हो सकती है, क्योंकि अब गैर-RAS अधिकारियों के लिए IAS में प्रमोशन का रास्ता और अधिक आसान हो जाएगा।
2. RAS एसोसिएशन को जुर्माना:
इस मामले में RAS एसोसिएशन पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। दरअसल, RAS एसोसिएशन ने इस प्रमोशन व्यवस्था का विरोध किया था और सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जुर्माना लगाने की सजा दी। एसोसिएशन का कहना था कि गैर-RAS अधिकारियों को IAS में प्रमोशन देने से RAS अधिकारियों के अधिकारों का उल्लंघन होगा, क्योंकि RAS एक अलग सेवा है और यह IAS से अलग है।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि यह प्रक्रिया सही है और गैर-RAS अधिकारियों को IAS में प्रमोशन देने से कानून में कोई समस्या नहीं उत्पन्न होती। इसके परिणामस्वरूप एसोसिएशन को 2 लाख रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया गया।
3. प्रभाव और तर्क:
यह फैसला प्रशासनिक सेवाओं में प्रमोशन के मुद्दे पर साफ-साफ रुख दिखाता है। अब यह सुनिश्चित हुआ कि RAS से IAS में प्रमोशन का रास्ता खुलेगा, जो उन अधिकारियों के लिए एक बड़ा अवसर हो सकता है जो RAS में काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें IAS में प्रमोशन का इंतजार था। RAS एसोसिएशन को जुर्माना लगाया गया है क्योंकि उनके द्वारा किया गया विरोध सुप्रीम कोर्ट की व्याख्या और फैसले के खिलाफ था, जो कानून के अनुसार सही था। इसके परिणामस्वरूप अब एसोसिएशन को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करना होगा और जुर्माना देना पड़ेगा।