बिलासपुर । हम सदियों से देख रहे है कि ज़ो भी सरकार पाकिस्तान में बनती है वो बदले और नफरत की भावना से काम करती है और अपनी ही पिछली सरकार को बर्बरता पूर्वक बदला लेती है। तानाशाही का ये तरीक़ा पाकिस्तान में हमेशा देखने को मिलता है। मोदी ने राजनीति में शायद पाकिस्तान को अपना गुरु बना लिया है और पाकिस्तानी राजनीति को हिंदुस्तान में अमल करना शुरू कर दिया है।
आपातकाल का बुरा यदि मोदी को लगता तो जब वो प्रधानमंत्री बने थे तभी करते तो समझ आता लेकिन अभी अभी के लोकसभा चुनाव में उनके मन का नहीं हुआ और सीटे कम हो गई और अयोध्या में भी हार मिली तो और देश की जनता उनका तानाशाही रवैया देश लिया तो बौखलाहट में दस साल बाद अचानक ये कदम उठाया। बीजेपी के प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी भी हुए लेकिन उन्होंने इस देश में कभी नफरत की राजनीति नहीं किया जो आज बीजेपी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे है। हाल ही में आरएसएस के प्रमुख ़भागवत ने लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद ये कहा था कि जनप्रतिनिधियों को अहंकार नहीं करना चाहिए और पूरा देश जान रहा है ये उन्होंने मोदी के लिए कहा था वो भी इसलिए जब मोदी के बीजेपी अध्यक्ष श्री नाड्डा ने ये कहा था कि बीजेपी को अब किसी की जरूरत नहीं है और ये उन्होंने आरएसएस के लिए शायद कहा था इसका जवाब भागवत ने चुनाव परिणाम के बाद कहा था लेकिन मोदी और शाह का अहंकार और तानाशाही समाप्त नहीं हुई बल्कि और बढ़ गई है। मोदी और शाह की जोड़ी ने देश के बलिदानियों और देश के पूर्वजों का अपमान करने और उनको नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और आये दिन दोनों किसी न किसी पूर्वज को टारगेट करते ही रहते है और उनका अपमान करते है।लोकसभा में चार सौ पार का नारा लगाने वाले मोदी का मन माफकि़़ रिजल्ट नहीं आया और देश की जनता ने उनका तानाशाही तरीक़ा देश लिया और उनको कई जगह से हार मिली तो तानाशाह मोदी भडक़ गये और ये कदम उठाया,लेकिन ये देश देश रहा है किस प्रकार पूर्वजों का अपमान हो रहा है।