छत्तीसगढ़ में महामसुंद व कोंडागांव जिले के दो डीईओ निलंबित
छत्तीसगढ़ में महामसुंद व कोंडागांव जिले के जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) को निलंबित कर दिया गया है। महासमुंद जिले के डीईओ का वीडियो कुछ समय पहले सोशल मीडिया में वायरल हुआ था, जिसमें वे विभागीय महिला कर्मचारी के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखे गए थे। वहीं कोंडागांव के डीईओ ने कलेक्टर के निर्देश के विपरित जाकर 140 शिक्षकों का नियम विरुद्ध स्थानांतरण कर दिया। वहीं सामान खरीदी में चहेतों को काम दिया और भुगतान भी करवा दिया। स्कूल शिक्षा विभाग ने इसे छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम-3 के तहत विपरीत कदाचरण मानते हुए निलंबन की कार्रवाई की है।
महासमुंद जिले के जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) परसराम चंद्राकर का वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हुआ था, जिसमें वे विभागीय महिला कर्मचारी के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखे गए थे। इस करतूत के दौरान उन्होंने अपने वाहन में "शासकीय कार्य पर छग शासन" का पोस्टर भी चस्पा कर रखा था। वीडियो वायरल होने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने महानदी भवन मंत्रालय से डीईओ का निलंबन आदेश जारी किया है। स्कूल शिक्षा विभाग के अवर सचिव अन्वेष धृतलहरे के हस्ताक्षर से यह आदेश जारी हुआ है। आदेश में कहा गया है कि डीईओ का यह कृत्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम-3 के तहत विपरीत कदाचरण व गंभीर नैतिक पतन की श्रेणी में आता है। निलंबन अविधि में उनका मुख्यालय संभागीय संयुक्त संचालक (शिक्षा) रायपुर तय किया गया है। निलंबित डीईओ को बिना अनुमति मुख्यालय नहीं छोड़ने का आदेश जारी किया गया है।
कोंडागांव के जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) राजेश मिश्रा को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ शासन के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि कोंडागांव डीईओ राजेश मिश्रा ने कलेक्टर के निर्देश के विपरित जाकर 140 शिक्षकों जिसमें व्याख्याता (एलबी), शिक्षक (एलबी) एवं सहायक शिक्षक (एलबी) का युक्तियुक्तकरण/स्थानांतरण किया। नियम विरुद्ध कलेक्टर दर पर 89 दिनों के लिए भृत्यों की नियुक्ति की गई। जिले में सूखा राशन वितरण में बिना टेंडर बुलाए चहेते निजी संस्था को सीधे सामग्री आपूर्ति का आर्डर भी दे दिया। खाद्यान वितरण में भी भारी कमी पाई गई है। स्कूलों के लिए महापुरुषों की फोटो बाजार मूल्य से अधिक दर पर खरीदी की गई है। वहीं फर्नीचर क्रय में फर्जीवाड़ा किया गया और भुगतान आदेश जारी कर गंभीर अनियमितता की गई है।