ये मर्ज पुराना है...
भारतीय राजनीति में जाति और परिवार ऐसी सच्चाई बन चुकी है, जिसका कोई तोड़ नहीं है। परिवारवाद और पुत्रमोह में फंसी कांग्रेस को लेकर पूरे मध्य प्रदेश में सियासी उफान मचा हुआ है। पार्टी कार्यालयों के आगे कार्यकर्ता अपने ही प्रदेश नेताओं के पुतले जलाए जा रहे हैं। जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का आरोप सबसे अधिक पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर लग रहे हैं। भाजपा नेता भी इसको लेकर हमलावर हैं।
केंद्रीय नेता और प्रदेश के नेता नहीं उबर रहे हैं पुत्रमोह से
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी का पुत्रमोह पूरा देश देख चुका है। उन्होंने राहुल गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया, तो कांग्रेस कई राज्यों में सत्ता से बाहर हो गई। केंद्र की राजनीति में कांग्रेस की स्थिति अब तक के सबसे दयनीय स्थिति में हैं। कभी बहुमत से देश पर राज करने वाली कांग्रेस की लोकसभा में 100 की संख्या भी नहीं है। जब बहुत कुछ गंवाया, तब राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ा।
वैसी ही स्थिति मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की है। दिग्विजय सिंह के बेटे राज्यवर्धन सिंह को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में बेहद नाराजगी है। हद तो यह भी है कि कमलनाथ भी दिग्विजय सिंह और राज्यवर्धन सिंह के कुर्ते फाड़ने की बात कह रहे हैं। दिग्विजय सिंह और उनके बेटे पर विधानसभा में पैसा लेकर टिकट देने का आरोप भी कई कार्यकर्ता सरेआम लगा रहे हैं। दूसरी ओर, कमलनाथ अपनी मन की चलाने के लिए हमेशा से जाने जाते हैं। छिंदवाड़ा में कांग्रेस की ओर से उसी को टिकट दिया गया है, जिसका नाम कमलनाथ के बेटे व सांसद नकुलनाथ ने अपने पिता को कहा था।
भाजपा देखती है परफार्मेंस भी
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा में नेताओं के बेटे और बेटी तो हैं, लेकिन पार्टी टिकट देने में उनके सामाजिक राजनीतिक अवदानों को भी देखती है। किसी नेता पुत्र को जबरन नहीं जनता के बीच भेज दिया जाता है। इस बार कई नेताओं के बेटे की टिकट की बात थी, लेकिन भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व ने ऐसा नहीं किया। दूसरे प्रदेशों में जो नेता पुत्र हैं, सबने स्वयं को सिद्ध किया है।
परिवारवाद के कारण हिट विकेट होगी कांग्रेस
परिवारवाद के पाश में फंसी कांग्रेस के नेताओं का परिवार से मोह कम नहीं हो रहा है। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को एमपी के चुनाव की कमान क्या संभालने के लिए दी गई, दोनों नेताओं के लिए पार्टी हित से ऊपर पुत्र हित हो गया। अब तक दोनों नेता बड़े भाई और छोटे भाई की भूमिका में थे, लेकिन टिकट बंटवारे और सीएम पद की कुर्सी को लेकर कांग्रेस में चल रही आंतरिक गुटबाजी जग जाहिर हो गई है। वचन पत्र के विमोचन के मौके पर कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के बीच तू—तू, मैं—मैं सबने देखी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब एक दूसरे के हमसफर दो दिग्गज नेता आपस में भिड़े हैं।
मतदान की तारीख के पूरे एक महीने पहले कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का यह विवाद पार्टी को तगड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि छिन्दवाड़ा की 6 सीट पर प्रत्याशी घोषित करने का अधिकार नकुल नाथ को देना नेतृत्व को सीधी चुनौती है, वहीं नकुल नाथ भी पार्टी लाइन को धता बता कर केंद्रीय चुनाव समिति के निर्णय से पहले अपने प्रत्याशी घोषित कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान असहाय नजर आ रही है। प्रदेश के नेताओं ने इसकी शिकायत कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सर्वेसर्वा नेता सोनिया गांधी से भी की है। अंदरखाने की मानें तो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने चेतावनी दी है कि हालात नहीं सुधरे तो वे मध्यप्रदेश से दूरी बना सकते हैं।