कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व में गुटबाजी को लेकर दिल्ली में बवाल ।
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले ही कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह शामिल है , एवं नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह सहित कई वरिष्ठ नेता आज शनिवार को दिल्ली में हुई चुनाव से संबंधित बैठक को बीच में ही छोड़कर वापस मध्य प्रदेश आ गए। सूत्र बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी की 4 लिस्ट जब जारी हो चुकी है तो इसके विरुद्ध कांग्रेस पार्टी के द्वारा मध्य प्रदेश में एक भी लिस्ट जारी न होने की रणनीति में विफल होने के बाद वरिष्ठ नेताओं मैं आपस में मनमुटाव एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा कराए सर्वे के मामले को लेकर दिल्ली में हुई बैठक में विवाद इतना बढ़ गया कि मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नेता इस बैठक को छोड़कर आ गए। कुल मिलाकर कांग्रेस पार्टी की कल जारी होने वाली सूची अब अधर में लटकी हुई दिखाई देती है ।
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता सलूजा का ट्वीट
इस पूरे मामले में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पार्टी का मजाक उड़ाते हुए कहा कि जो पार्टी पिछले डेढ़ महीने के अंतराल में एक भी उम्मीदवार की सूची जारी नहीं कर सकी , उस कांग्रेस पार्टी का आंतरिक लोकतंत्र क्या है, सर्वे भी खुद करा रहे हैं, प्रियजनों की जीत दिखाकर टिकट भी दिला रहे हैं।
ये है नरेंद्र सलुजा का ट्वीट -
खबर अंदर खाने से -
बड़ी खबर...
कांग्रेस में टिकटो को लेकर दिल्ली में मचा घमासान , जमकर गदर....
बैठक छोड़ राजा साहब वापस भोपाल लौटे , नेता प्रतिपक्ष भी वापस क्षेत्र में लौटे...
सारा झगड़ा कमलनाथ जी द्वारा कराए सर्वे को लेकर....
कांग्रेस नेताओं का आरोप - नाथ जी ने सर्वे अपने हिसाब से कराया। अपने चहेते नेता, जिनको टिकट देना है, उनके नाम लिखकर सर्वे एजेंसी को दिए और सर्वे में भी वही नाम सामने आए और अब टिकट भी उनको ही....
सर्वे के नाम पर किया खेल..
बाकी नेताओं के समर्थको को निपटाया...
इस बवाल के बाद कांग्रेस की पहली सूची पर संकट के बादल छा गये हैं और समन्वय के सारे प्रयास विफल नजर आ रहे हैं।
रविवार को पहली सूची, सोमवार को वचन पत्र ।
कांग्रेस पार्टी के सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार सूची जारी होने के लगभग डेढ़ महीने के पश्चात कांग्रेस पार्टी की पहली सूची रविवार को आना लगभग तय मानी जा रही थी। वहीं दूसरी ओर सोमवार को कांग्रेस पार्टी की ओर से वचन पत्र जारी होना था। जानकारी के अनुसार तीन दिवस के अंतराल में कांग्रेस पार्टी की लगभग सभी लिस्ट आना लगभग तय हो चुका था। परंतु कांग्रेस मुख्यालय में राष्ट्रीय नेतृत्व की हुई बैठक में जिस तरह से शनिवार को आरोप प्रत्यारोप का दौर खड़ा हुआ, उसके चलते संभावित सूची अब जारी न होने की स्थितियों में कांग्रेस पार्टी के समक्ष मध्य प्रदेश में अजीब सा संकट खड़ा हो गया है । कुल मिलाकर कांग्रेस पार्टी में वरिष्ठ नेताओं के बीच अब आपसी मनमुठाव सड़कों पर आता हुआ दिखाई दे रहा है।
15 अक्टूबर को पहली लिस्ट में 60 से 130 नामों की घोषणा किए जाने की संभावना है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि दिल्ली बैठक में कांग्रेस ने करीब-करीब सभी सीटों पर उम्मीदवारों के नाम तय कर लिए हैं, लेकिन ऐसी स्थिति में तो इस सूची का जारी होना फिर से अधर में लटका दिखाई दे रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा कराए गए सर्वे को लेकर उठे सवाल , मचा बवाल ।
आज शनिवार को कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में कल जारी होने वाली सूची के विषय में फाइनल फैसला होना था। जिसमें कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित कमलनाथ एवं नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह एवं अन्य राष्ट्रीय पदाधिकारी शामिल थे। जानकारी के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के द्वारा संभावित उम्मीदवारों का सर्वे पिछले 2 महीने के अंतराल में लगातार तीन क्रम में कराया गया था। उपरोक्त सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर उम्मीदवारों के नाम तय होने थे । इस सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर जब आखिरी वक्त में सूची को फाइनल करने का समय आया तो सर्वे के मापदंड पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह एवं नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने सवाल उठाए एवं जीतने वाले प्रत्याशी के विषय पर चर्चा करनी चाहिए तो इस पर वरिष्ठ नेताओं एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने चुप कर दिया। मामले में विवाद इतना अधिक बढ़ गया कि सूत्र बताते हैं कि इस राष्ट्रीय स्तर की बैठक में से बहिष्कार करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह एवं नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह बैठक छोड़कर वापस मध्य प्रदेश आ गए। जानकारी के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के द्वारा कराया गया सर्वे उनकी पसंद के लोगों के विषय में पूरी तरह उचित परंतु वास्तविक रूप से धरातल पर प्रत्याशी के जीत पर सवाल उठा रहा था। जिसको लेकर विरोध प्रारंभ हुआ। सूत्रों के मुताबिक इस सर्वे के बाद से कार्यकर्ताओं का पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर विश्वास नहीं है।