नई दिल्ली । बिहार की राजनीति में बहुत बड़ा परिवर्तन होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। चाचा भतीजे की जोड़ी अब राजद और जदयू के विलय की ओर बढ़ रही है। भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार के दबाव को देखते हुए नीतीश कुमार का जनता दल यूनाइटेड और राजद के विलय को लेकर दोनों नेताओं के बीच आम सहमति बन गई है।
राजद के राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद से ही विलय की खबरें सामने आने लगी थी। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव की भी भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है। लालू यादव की सिंगापुर से ऑपरेशन करा कर वापस लौट आए हैं।
दोनों ही दलों के नेताओं ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है। जिस तरह से बिहार में नए राजनीतिक समीकरण तैयार हो रहे हैं। उसमें एक बार फिर लालू और नीतीश की जोड़ी नए रूप में सामने आएगी। अब यह जोड़ी चाचा भतीजे के नाम पर पहचानी जाएगी।
बिहार में भारतीय जनता पार्टी से इत्तर सभी विपक्षी दलों को एक मंच में लाने के लिए राजद और जदयू का विलय होने के बाद, बिहार की राजनीति में भारी परिवर्तन की संभावना व्यक्त की जा रही है।यह सब लोकसभा चुनाव को दृष्टिगत रखकर किया जा रहा है।
राजद और जदयू के विलय होने से बिहार और झारखंड की राजनीति को ध्यान में रखकर भाजपा के खिलाफ गठबंधन तैयार तैयार करने की रणनीति बनाई गई है। दोनों राज्यों की 55 सीटों पर सीधे चुनौती देने की तैयारी बिहार और झारखंड में की जा रही है। इन दोनों ही राज्यों में दलित मुसलमान और पिछड़ी जातियों का गठबंधन भाजपा को बड़ी चुनौती देने की स्थिति में आ गया है। देश की वर्तमान राजनीतिक स्थिति को देखते हुए, दोनों राजनीतिक दल  एक ही मंच पर आकर खड़े होने के लिए विवश हो गए हैं।