टनल में फंसे श्रमिकों को बचाकर मसीहा बने रैट माइनर्स
नई दिल्ली । उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग से 41 मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए सेना, बचाव विशेषज्ञ और मशीनें जब फेल हो गईं तो आखिरी समय पर रैट माइनर्स ने हाथों से पहाड़ खोदकर अभियान का लक्ष्य हासिल किया । मजदूरों को बाहर निकालने वाली रैट माइनर्स टीम के लीडर मुन्ना कुरैशी को आखिरी 12 मीटर का मलबा हटाने का स्पेशल टास्क मिला था।
बता दें कि उत्तरकाशी टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए सोमवार को जब अमेरिका निर्मित बरमा मशीन अचानक खराब हो गई तो सुरंग में फंसे लोगों को निकालने की उम्मीद एक बार फिर धूमिल हो गई। ऐसे में बचाव अभियान के लिए रैट माइनर्स को चुना गया। इस काम के लिए दिल्ली के मुन्ना कुरैशी और उनकी टीम को जिम्मेदारी मिली। बता दें कि रैट माइनर्स छोटे-छोटे गड्ढे खोदकर कोयला निकालने की एक विधि है लेकिन अवैज्ञानिक होने के कारण 2014 में एनजीटी ने इसे कोयला निकालने की विधि के रूप में प्रतिबंधित कर दिया था।
हालाकि इस ऑपरेशन के कई भागीदार हैं, लेकिन दिल्ली के राजीवनगर निवासी 29 वर्षीय कुरैशी कुरैशी की रैट माइनर्स कंपनी सीवर और पानी लाइनों को साफ करने का काम करती है। मुन्ना कुरेशी ने बताया कि उन्होंने मंगलवार शाम को आखिरी चट्टान हटाते ही वहां फंसे 41 श्रमिकों ने खुशी से गले लगाते हुए धन्यवाद दिया। कुरैशी के साथ टीम में मोनू कुमार, वकील खान, फ़िरोज़, परसादी लोधी और विपिन राजौत अन्य रैट माइनर्स भी शामिल थे।