जयपुर । राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के 18 वें दीक्षान्त समारोह में राजभवन से ऑनलाइन सम्बोधित करते हुए कहा है कि नई शिक्षा नीति को लागू करने और इसके अतंर्गत पाठ्यक्रम निर्धारण में प्रदेश के विश्वविद्यालय दूसरे राज्यों के लिए मिसाल पेश करें। उन्होंने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से समय-समय पर संवाद कर नई शिक्षा नीति को आगामी सत्र से लागू करने के चरणबद्ध प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने परम्परागत शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास के लिए विश्वविद्यालयों में प्रभावी रूप से कार्य किए जाने का आह्वान किया। उन्होंने शिक्षकों से पाठ्यक्रमों को अद्यतन करने का आह्वान करते हुए कहा कि इनमें भारतीय ज्ञान व संस्कृति का समावेश भी होना चाहिए।कुलाधिपति ने कहा कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद युवा अधिकाधिक आत्मनिर्भर बन सकें इसके लिए उनमें आरम्भ से ही स्वावलम्बन की भावना विकसित करना जरूरी है। इसके लिए उन्होंने राजस्थान कौशल विकास विश्वविद्यालय से जुड़कर भी इस सबंध में व्यावहारिक पाठ्यक्रम तैयार करने का सुझाव दिया। मिश्र ने विश्वविद्यालय की स्थापना के आगामी जुलाई में साठ वर्ष पूरे होने की शुभकामना देते हुए प्रसन्नता व्यक्त की कि इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थी विभिन्न क्षेत्रां में महत्वपूर्ण पदों पर पहुंच कर राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए मोगड़ा कलां गांव को आदर्श गांव बनाने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने सालावास गांव को भी विश्वविद्यालय द्वारा आदर्श गांव बनाने की पहल करने की सराहना की। उन्होंने कहा कि जोधपुर में संचालित आईआईटी, एम्स व मरु क्षेत्र में संचालित अन्य अनुसंधान केन्द्रों का सहयोग लेकर इस क्षेत्र को उपजाऊ, उर्वरायुक्त एवं हरा-भरा बनाने के लिए कार्य किया जाना चाहिए।
उच्च शिक्षा का केन्द्र बना जोधपुर सीएम : जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के 18वें दीक्षान्त समारोह को वर्चुअल रूप से सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि हमें इस बात का गर्व है कि पूरे देश में जोधपुर एकमात्र ऐसा बड़ा शहर है, जहां राष्ट्रीय स्तर के कई उच्च शिक्षण संस्थान एक साथ हैं। जोधपुर आज उच्च शिक्षा का एक बड़ा केन्द्र बन गया है, जहां आईआईटी, एम्स, निफ्ट, एफडीडीआई, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी एवं पुलिस विश्वविद्यालय स्थापित हैं। शीघ्र ही, यहां डिजिटल यूनिवर्सिटी खुलेगी जिसके लिए राज्य सरकार ने 400 करोड़ रूपए स्वीकृत किए हैं एवं जमीन आवंटन की प्रक्रिया चल रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय में राजस्थान को पिछड़ा हुआ राज्य माना जाता था, लेकिन आज वह स्थिति नहीं है। प्रदेश हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पहली बार जब वे मुख्यमंत्री बने तो उनकी सरकार ने 18 विश्वविद्यालय खोले थे। पिछले तीन साल में राज्य सरकार ने उच्च शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। 123 नए कॉलेज खोले गए हैं। 500 से अधिक छात्राओं वाले उच्च माध्यमिक विद्यालय को महाविद्यालय में क्रमोन्नत किया जा रहा है। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए छात्रों को फ्री कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। 200 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को राज्य सरकार के खर्च पर विदेश में अध्ययन के लिए भेजा जा रहा है। गहलोत ने कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि विश्वविद्यालय सिर्फ डिग्री प्राप्त कर नौकरी हासिल करने के संस्थान नहीं हैं, बल्कि व्यक्ति का सम्पूर्ण विकास करने वाले स्थान हैं। विश्वविद्यालयों में उत्कृष्ट मानव संसाधन तैयार कर सकते हैं।  उन्होंने कहा कि 1962 में स्थापित जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय से पढ़कर निकले कई छात्रों ने महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं देकर देश-प्रदेश के विकास में योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि 55 साल पहले 1967 में उन्होंने इस विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया था। पूर्व मुख्यमंत्री शेर-ए-राजस्थान जय नारायण व्यास के नाम पर इस विश्वविद्यालय को जाना जाता है, जो सभी के लिए गर्व की बात है। मुख्यमंत्री ने दीक्षान्त समारोह में देश की दो नामचीन हस्तियों भारत रत्न स्वर कोकिला सुश्री लता मंगेशकर एवं मशहूर वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन को विश्वविद्यालय द्वारा मानद उपाधि प्रदान करने को प्रशंसनीय कदम बताया। उन्होंने अपनी और पूरे प्रदेशवासियों की ओर से लताजी के स्वास्थ्य लाभ की कामना की।उच्च शिक्षा राज्य मंत्री राजेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि राज्य सरकार सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक अम्ब्रेला एक्ट लाने के लिए प्रयासरत है ताकि विद्यार्थियों को एक विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय में जाने पर शिक्षण एवं पाठ्यक्रम सम्बन्धी असुविधाओं का सामना नहीं करना पड़े।