Rajasthan : देश ही नहीं विदेश तक चमक बिखेर रहे जोधपुरी पत्थर से घर बनाना अब महंगा होगा। क्योंकि सरकार ने प्रति टन रॉयल्टी की दरें बढ़ा दी है और दूसरी ओर बारिश के सीजन से पानी भरने से यह बंद रहेगा। जोधपुर शहर के आस-पास व बालेसर में 12 हजार के करीब खदानें हैं, जिनमें से प्रतिदिन एक लाख टन से ज्यादा माल निकलता है। राजस्थान के मारवाड़ अंचल की पहचान बन चुका जोधपुरी पत्थर अब आम लोगों की जेब पर भारी पड़ने लगा है।

सैंड स्टोन पर रॉयल्टी दरों में भारी इजाफा करने के बाद निर्माण कार्य महंगे हो जाएंगे। पहले जहां प्रति टन रॉयल्टी 240 रुपए थी, अब उसे बढ़ाकर 320 रुपए प्रति टन कर दिया गया है। डीएमएफटी फंड की एकमुश्त 100 रुपए प्रति टन की वृद्धि कर दी गई है। इस बढ़ोतरी से न सिर्फ भवन निर्माण बल्कि स्टोन प्रोसेसिंग, निर्यात और मजदूरी क्षेत्र पर भी असर पड़ेगा।

12 हजार से ज्यादा खदानें

जोधपुर व बालेसर क्षेत्र में मिलाकर करीब 12 हजार से ज्यादा खदानें है, जहां से प्रतिदिन औसतन एक लाख टन से अधिक पत्थर निकाला जाता है। यह पत्थर राजस्थान ही नहीं, बल्कि देशभर में घरों, बाउंड्री वॉल, मंदिरों, शिल्पकला और इमारतों के निर्माण में इस्तेमाल होता है। संयुक्त अरब अमीरात, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका तक इसका निर्यात किया जाता है।

फैक्ट फाइल

1- 12 हजार खदानें हैं जोधपुर-बालेसर में।
2- एक लाख टन से ज्यादा माल निकलता है।
3- 100 रुपए प्रति टन रॉयल्टी व डीएमएफटी भार बढ़ा है।
4- दो महीने पानी भरने से बंद रहेगी खदानें।
5- रोजगार और निर्यात पर भी असर

मानसून में दो माह खदानें रहेंगी बंद

हर साल मानसून के दौरान खदानों का संचालन दो महीने के लिए बंद हो जाता है। इस दौरान खनन गतिविधियां थमी रहती हैं, लेकिन इस बार बारिश के साथ-साथ रॉयल्टी दरों में हुई बढ़ोतरी ने डबल झटका दिया है। जिन लोगों ने पहले से स्टॉक नहीं किया, उन्हें खदानें खुलने के बाद महंगे दामों पर पत्थर खरीदना पड़ेगा।

रोजगार और निर्यात पर असर पड़ेगा

इस क्षेत्र में 1.5 लाख से ज्यादा श्रमिक काम करते हैं। इसके अलावा प्रोसेसिंग यूनिट व अन्य उद्योगों को मिलाकर 2 लाख से ज्यादा लोग इनमें नियोजित है। रॉयल्टी बढ़ने से पत्थर की मांग में कमी आ सकती है, जिससे रोजगार प्रभावित हो सकता है।

आम जन पर सबसे ज्यादा भार पड़ेगा

बारिश के सीजन में खदानें बंद रहती है, लेकिन इसके साथ रॉयल्टी बढ़ने से काम प्रभावित हो सकता है। आम जन पर सबसे ज्यादा भार पड़ेगा। प्रति टन 100 रुपए के दाम बढ़ने से करोड़ों रुपए का हर दिन भार पड़ेगा। पहले से ही सैंड स्टोन का मार्केट संकट में है।
नरेश परिहार, खदान मालिक, पूनम सिंह तंवर, पत्थर उद्यमी