जयपुर। राजभवन में हिमाचल राज्य का स्थापना दिवस समारोह पूर्वक मनाया गया। राज्यपाल कलराज मिश्र ने इस अवसर पर हिमाचल राज्य के स्थानीय लोगों से संवाद कर उन्हें राज्य के स्थापना दिवस पर बधाई और शुभकामनाएं दी है।राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल भारत की वैदिक संस्कृति का संवाहक प्रदेश है। उन्होंने हिमाचल से जुड़े हिमालय पर्वत और वहां तप करने वाले ऋषि—मुनियों की परम्परा का उल्लेख करते हुए कहा कि यह पावन और पवित्र भूमि है। उन्होंने हिमाचल के बर्फीले पहाड़, नदियों, झरनों और हरीतिमा से आच्छादित प्राकृतिक वातावरण की चर्चा करते हुए कहा कि तीर्थाटन से पर्यटन की भारतीय संस्कृति मूलत: हिमाचल से ही आगे बढ़ी है। 
राज्यपाल ने हिमाचल को भारत का भाल बताते हुए कहा कि राज्यों के स्थापना दिवस मनाने का उद्देश्य यही है कि एक भारत श्रेष्ठ भारत की भारतीय संस्कृति को हम एक स्थान पर  साकार रूप में  अनुभव कर सकें। उन्होंने राष्ट्रीय एकता और एकात्मकता को सशक्त करने के लिए भी कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि संविधान की उद्देशिका हम भारत के लोग से प्रारंभ होती है। यह सामाजिक एकता के हमारे सामूहिक भाव की सूचक है। उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों की एकता और समन्वय से ही भारत सशक्त होगा। इसी भाव से राज्यों के स्थापना दिवस मनाने की राजभवन में पहल की गयी है। इससे पहले हिमाचल प्रदेश के लोक कलाकारों ने जीणा कांगड़े दा समूह लोक गीत और एकल लोक गीत की हारमोनियम  प्रस्तुति से उपस्थित जनों को पहाड़ों  के सौंदर्य  की अनुभूति कराते भाव से विभोर किया। हिमाचल के स्थानीय लोगों ने राज्यपाल का अभिनंदन करते हुए उनका आभार भी जताया। राज्यपाल ने इससे पहले संविधान की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया। इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव श्री गौरव गोयल और प्रमुख विशेषाधिकारी गोविंद राम जायसवाल भी उपस्थित रहे।