रायपुर।  बात 1977 के लोकसभा चुनाव की है। छत्तीसगढ़ में रायपुर के सप्रे शाला मैदान में भीड़ जमा थी। लोग पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की बुआ विजय लक्ष्मी पंडित को सुनने के लिए उमड़े थे। विजय लक्ष्मी ने गुस्सा निकालते हुए कहा था कि देश में तानाशाह सरकार चल रही है। इस सरकार को उखाड़ फेंकना है।

विजय लक्ष्मी के भाषण को सुनने वालों की संख्या अधिक होने की वजह आपातकाल लागू होने के बाद हुए तत्कालीन चुनाव के दौरान कांग्रेस की इंदिरा सरकार के प्रति लोगों की नाराजगी रही। विजय लक्ष्मी ने जनता दल के प्रत्याशी पुरुषोत्तम लाल कौशिक के समर्थन में सभा की थी।

जनता दल को मिला फायदा

जितनी संख्या में भीड़ आई थी, उसका फायदा जनता दल के सभी प्रत्याशी को भी मिला और छत्तीसगढ़ की सभी सीट पर उसके प्रत्याशी जीते। बताते हैं कि इस सभा के बाद कांग्रेस के प्रत्याशी और तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ल के इशारे पर जनता दल के प्रत्याशी कौशिक पर हमला हुआ था। उनका कुर्ता फाड़ दिया गया था।

रावण से इंदिरा की तुलना

छत्तीसगढ़ में मीसा बंदियों के संगठन लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने बताते हैं कि विजय लक्ष्मी समेत कई नेताओं ने इंदिरा से नाराज होकर कांग्रेस छोड़ दी थी।

विजय लक्ष्मी ने सभा में कहा था कि इंदिरा में रावण सी प्रवृत्ति आ गई है। जिस तरह रावण ने अपने स्वजन की नहीं सुनी, उसी तरह इंदिरा कर रही है। उन्होंने इंदिरा के पांच साल के कार्यकाल को एक साल और बढ़ाने पर भी आपत्ति की थी। उनकी सभा आम राजनीतिक सभाओं से अलग थी, क्योंकि इसके लिए लोगों को बुलाया नहीं गया था।