राजस्थान | राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस अरुण भंसाली की कोर्ट में फ़िल्म कुत्ते के खिलाफ पेश याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। गुरुवार को कोर्ट में समय की कमी के चलते मामले में सुनवाई नहीं हो सकी। अब कोर्ट में इस मामले पर फिर से सुनवाई करेगा। अब देखना है कि शुक्रवार की सुनवाई में कोर्ट का क्या रुख रहता है।कोर्ट में पेश की गई याचिका ने 'राइट टू लिव विद डिग्निटी' और 'फ्रीडम ऑफ स्पीच' के संवैधानिक अधिकार के बीच जो बहुत महीन रेखा है, उस पर बहस छेड़ दी है।

संविधान हमें अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देता है, लेकिन बोलने और अभिव्यक्त करने के इस अधिकार का उपयोग किस हद तक किया जाना चाहिए? इस बात पर प्रश्नचिह्न उस समय खड़ा होता है, जब बोलने वाला व्यक्ति सीमाओं को उतना पार कर दें, जिसमें किसी भी व्यक्ति के स्वाभिमान से जीने के अधिकार का हनन होने लगता है।जालौर जिले के एडिशनल एसपी नरेंद्र चौधरी की 17 वर्षीय बेटी शगुन चौधरी सहित याचिकाकर्ताओं ने इस याचिका के माध्यम से इस फिल्म के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग की है।

उनका कहना है कि पुलिस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के व्यवहार को कुत्ते के व्यवहार से दर्शाया गया है। जो उनके सम्मानजनक तरीके से जीने के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है।याचिका पेश किए जाने के बाद पुलिस विभाग के रिटायर्ड इंस्पेक्टर घेवर चंद सारस्वत का कहना है कि पुलिस विभाग ने इस देश के लिए कई बलिदान दिए हैं। उन्होंने याद दिलाया कि जब ताज होटल पर हमला हुआ था, तब एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे, एसीपी अशोक काम्ते और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट विजय सालस्कर समेत कुल 14 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।

बलिदान देने वालों में पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों सहित कॉन्स्टेबल तुकाराम भी शामिल थे। ऐसे में इस तरह की फिल्में बनाकर उनकी शहीदी का अपमान किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि जब संसद पर हमला हुआ, तब भी पुलिसकर्मियों ने शहीद होकर इस देश की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था की रक्षा की थी। साथ ही उन्होंने दावा किया कि अगर पुलिस को 24 घंटे के लिए देशभर से छुट्टी दे दी जाए, तो देश में अपराध का ग्राफ हजार गुना अचानक से बढ़ जाएगा। पुलिस समाज को सुखी और शांतिपूर्ण जीवन देने में मदद करती है। ऐसे पुलिस वालों के खिलाफ इस तरह की फिल्में बनाना बहुत दुखद है और हर व्यक्ति को ऐसी फिल्मों का विरोध करना चाहिए।