शहर के बड़े मंदिरो में मनाया जा रहा फागोत्सव
जयपुर। होली के त्योहार में रंगों से खेलने की परम्परा बेहद पुरानी है पुराने जमानें में फूलों के रंग का इस्तेमाल होली खेलने में होता था, लेकिन वक्त बदला और केमिकल से बने रंगों ने उनकी जगह ले ली केमिकल से बने रंगों की वजह से होने वाले नुकसान से बचने के लिए एक बार फिर लोग इको फ्रेंडली रंगों की तरफ रुचि दिखाने लगे हैं. इस बार की होली में बाजार में आपको कई तरह के हर्बल गुलाल मिल जाएंगे। गुलाबी नगरी में होली की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं रंग-बिरंगी गुलाल से दुकानें सजने लगी हैं. शहर के हर बड़े मंदिर में फागोत्सव मनाया जा रहा है. जयपुरवासी पूरी तरह से कृष्ण भक्ति में लीन है. इसी बीच जयपुर के भीम राज ने इस बार एक नया इनोवशन किया है. उनका मानना है कि होली रंगों का त्योहार है और इस दिन हर किसी को रंगों से होली खेलनी चाहिए, लेकिन कुछ लोग डर के कारण नहीं खेल पाते हैं. बाजार में मिल रहे केमिकल कलर्स से एलर्जी और स्किन खराब होने का डर बना रहता है. इसलिए इन सबको ध्यान में रखते हुए इस बार गोबर से गुलाल बनाया गया है जो 100 प्रतिशत ऑर्गेनिक यानी जैविक है। भीम राज ने बताया कि यह गुलाल पूरी तरह ऑर्गेनिक है. गुलाल को बनाने में गोबर को एक दम बारीक पीसा गया है. उसके बाद उसमें अरारोट का इस्तेमाल कर कलर देने के लिए फूड कलर्स का इस्तेमाल किया गया, जो आम तौर पर खाने की सामग्री में शामिल किए जाते हैं. इससे किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है. साथ ही फूलों का भी इस्तेमाल किया गया।