जयपुर । मणिपाल यूनिवर्सिटी जयपुर में  ‘मीडिया साक्षरताः शिक्षक और समाज’ विषय पर एक सप्ताह तक चलने वाले फैकल्टीम डेवलपमेंट कार्यक्रम की सफल शुरुआत हुई। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो. के. जी. सुरेश रहे। प्रतिभागियों को संबोधित
करते हुए उन्हों्ने कहा कि बदलते समय में समाज के लिए मीडिया साक्षरता महत्वपूर्ण है। उन्होंने मीडिया की समाज में भूमिका को समझने के लिए मीडिया साक्षरता की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि गूगल और सोशल मीडिया ने हमारे संवाद के तौर-तरीको में क्रांतिकारी बदलाव किए हैं। प्रो. सुरेश ने उन जोखिमों के बारे में भी बात की जो मीडिया के जरिए गलत सूचनाओं के फैलने से पैदा हो सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि नई पीढ़ी सोशल मीडिया पर काफी समय व्यलतीत कर रही है, साथ ही सोशल मीडिया के जरिए दूसरों के साथ अपने जीवन के महत्व पूर्ण पलों को भी साझा कर रही है, इसलिए उनके लिए इसका सावधानीपूर्वक उपयोग करना महत्वपूर्ण है।
इससे पहले, मीडिया एवं जन संचार संस्था के निदेशक प्रो. फकीरा मोहन नाहक ने एफडीपी के बारे में संक्षिप्त जानकारी साझा की। कार्यक्रम में स्वाैगत भाषण कला संकाय की डीन प्रो. कोमल औडिच्यव द्वारा दिया गया। उन्होंने मुख्य अतिथि और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए मीडिया शिक्षकों को लगातार बदलते परिवेश में शिक्षकों द्वारा नई चीजें सीखने पर जोर दिया। साथ ही छात्रों के साथ भी इस ज्ञान को भी साझा करने की सलाह दी। एम यू जे के
पत्रकारिता और जनसंचार विभाग के प्रमुख प्रो. सुशील कुमार राय ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन किया। सत्र की मेजबानी डॉ. वैशाली कपूर, एसोसिएट प्रोफेसर, पत्रकारिता और जन संचार विभाग ने की।
एफडीपी में पहले सत्र के वक्ताप प्रो. राघवेंद्र मिश्रा, डीन संचार और मीडिया अध्ययन संकाय, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय केंद्रीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक ने मीडिया साक्षरता से प्रतिभागियों को अवगत कराया। साथ ही इसके उद्देश्य और महत्व पर भी चर्चा की। उन्हों ने अपने उद्बोधन में मीडिया साक्षरता, सूचना साक्षरता, और सोशल मीडिया जैसे विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल रही। प्रो. मिश्रा ने आधुनिक समय में शिक्षा में मीडिया साक्षरता
की आवश्यकता पर पुरजोर बल दिया। उन्होंने नागरिकों में मीडिया साक्षरता को बढ़ाने के लिए सरकारी योजनाओं पर भी प्रकाश डाला। दोनों सत्रों के बाद प्रतिभागियों द्वारा प्रश्न-उत्तर और संवाद किया गया।