गया : बिहार में विधानसभा चुनाव को कुछ महीने ही बचे हैं. सभी गठबंधन और दलों में प्रत्याशियों की दावेदारी की कमी नहीं है. इनमें कुछ नाम अपने क्षेत्र में चर्चित भी हैं, जो अपनी दावेदारी को मजबूत बनाने में लगे हैं. इन्हीं चर्चित नामों में एक 'पर्वत पुरुष दशरथ मांझी' के पुत्र भागीरथ मांझी भी हैं. वह कांग्रेस के टिकट पर बोधगया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. उनका दावा है कि राहुल गांधी ने आश्वासन दिया है.

बोधगया से चुनाव लड़ने की इच्छा: भागीरथ मांझी के मुताबिक लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी पिछले महीने जब जून में बिहार के गया और राजगीर के दौरे पर आ थे, तब उन्होंने ने हमारे परिवार से मुलाकात की थी. उस दौरान हमारे परिवार ने उनका भरपूर स्वागत किया था. साथ ही हम से राहुल गांधी ने बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के संबंध में बात की थी, जिस पर हम ने बोधगया से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की.

राहुल गांधी ने बनाया था बायोडाटा: भागीरथ मांझी कहते हैं वह चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं, सिर्फ कांग्रेस आलाकमान से मंजूरी मिलने की देरी है. वह इसलिए भी भरोसे में हैं, क्योंकि राहुल गांधी ने ही उनकी उम्मीदवारी को लेकर उनका बायोडाटा तैयार कर के दिया है. उन्होंने कहा कि मुझे पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने आश्वासन दिया है कि बिहार चुनाव में उन्हें कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जरूर लड़वाया जाएगा, हमें राहुल गांधी की बातों पर पूरा भरोसा है.

"हमने जब चुनाव लड़ने की इच्छा जताई तो उन्होंने राजगीर जाने के क्रम में मेरे से पूरी जानकारी लेकर मेरा बायोडाटा तैयार करवाया है. उसकी एक कॉपी मुझे भी उन्होंने दी थी, जिस पर उन्होंने पार्टी से चुनाव लड़ाने की अनुशंसा की है."- भागीरथ मांझी, दशरथ मांझी के पुत्र

नीतीश के प्रति जताई नाराजगी?: भगीरथ मांझी ने इसी साल कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है. इससे पहले वो जेडीयू में भी रहे हैं. हालांकि उनका कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से वह नाराज नहीं, दुःखी हैं. वो सीएम के कार्यों से भी संतुष्ट नहीं हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने सिर्फ पिताजी (दशरथ मांझी) को अपनी कुर्सी पर बैठाकर हाईलाइट किया. सम्मान तो दिया लेकिन परिवार की सहायता नहीं की.

भगीरथ मांझी ने कहा कि हम आर्थिक तंगियों से जूझ रहे हैं. परिवार टूटी हुई झोपड़ी में रह रहा है. घर की स्थिति हमारी वैसी ही रही जैसे कि मांझी समाज के आम लोगों की होती है. हालांकि वो ये भी कहते हैं कि उनके पिता ने जो भी सामाजिक कामों की मांग नीतीश कुमार से की, उनमें कुछ काम उन्होंने किया भी है लेकिन फिर भी परिवार को सिर्फ आश्वासन ही मिला. सीएम ने उनको एक बार भी टिकट देना जरूरी नहीं समझा.

मांझी को बताया 'परिवारवादी' नेता: भागीरथ मांझी को सबसे ज्यादा शिकायत केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी से है. वह कहते हैं कि वो बाबा दशरथ मांझी के परिवार (जाति) के हैं. उनके पिता के नाम पर राजनीतिक लाभ भी लेते हैं. अपनी पार्टी के कार्यक्रमों में वो दशरथ मांझी की तस्वीर लगाते हैं. मंच से उनका परिजन होने की बात करते हैं लेकिन कभी दशरथ मांझी के परिवार के लिए कुछ नहीं किया. सिर्फ बेटे-बहू और दामाद को ही आगे बढ़ाया.

'चिराग को नहीं जानता हूं': दलितों के उभरते नेता केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को भागीरथ मांझी ने पहचानने से भी इंकार कर दिया. वो कहते हैं कि मेरी उनसे कभी मुलाकात नहीं हुई. अतरी विधान सभा क्षेत्र में 2020 के विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए आए थे लेकिन हमारे घर पर नहीं आए. वह दशरथ मांझी की बात करते होंगे लेकिन परिवार की स्थिति को कभी जानने की कोशिश नहीं की. हम चिराग पासवान को नहीं जानते हैं कि वह कैसे नेता हैं.

'सामाजिक न्याय के नेता हैं लालू यादव': वहीं, लालू यादव को वह सामाजिक न्याय दिलाने वाले नेता के रूप में देखते हैं, लेकिन उन के बारे में भी वह कहते हैं कि दशरथ मांझी के परिवार के लिए उन्होंने भी कुछ कराने में रुचि नहीं दिखाई. भगीरथ मांझी तो तेजस्वी यादव से भी वो अंजान ही हैं लेकिन वो खुद को राहुल गांधी का जबरा फैन बताते हैं और उनकी जमकर तारीफ भी करते हैं.

गया में 'मांझी' फैक्टर असरदार: गया जिले की राजनीति में वर्षों से मांझी समुदाय के नेताओं का ही वर्चस्व माना जाता है. पिछले 25 वर्षों से गया लोकसभा का प्रतिनिधित्व मांझी समाज के नेता कर रहे हैं. अभी गया लोकसभा सीट से जीतनराम मांझी सांसद हैं. इससे पहले जेडीयू के टिकट पर भगवतिया देवी के बेटे विजय कुमार मांझी एमपी थे. उनसे पहले 10 सालों तक बीजेपी के हरि मांझी सांसद थे.

जीतनराम परिवार का दखल: गया जिले की तीन सुरक्षित सीट में दो सीटों बाराचट्टी और इमामगंज पर भी पिछले 10 सालों से ज्यादा समय से मांझी जाति के नेता ही विधायक हैं. 9 सालों तक इमामगंज से जीतनराम मांझी विधायक रहे, जबकि अभी उनकी बहू और मंत्री संतोष कुमार सुमन की पत्नी दीपा मांझी विधायक हैं. वहीं, बाराचट्टी से ज्योति देवी (मांझी) विधायक हैं. इससे पहले आरजेडी की पूर्व सांसद भगवतिया देवी की बेटी समता देवी विधायक थीं.

मांझी बनाम मांझी का मुकाबला: गया जिले में 10 विधानसभा सीट हैं. इसमें तीन सीट सुरक्षित सीटों में से दो पर हम पार्टी का कब्जा है, जबकि एक सीट पर आरजेडी के कुमार सर्वजीत का कब्जा है. वह पासवान जाति से आते हैं. ऐसे में जानकार कहते हैं कि कांग्रेस और महागठबंधन (इंडिया गठबंधन) गया जिले में दशरथ मांझी के परिवार के पुत्र को टिकट देकर जीतनराम मांझी के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है. मांझी जाति में मैसेज देने के लिए कांग्रेस का ये मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है.

कौन थे दशरथ मांझी?: भागीरथ मांझी के पिता दशरथ मांझी को माउंटेन मैन (पर्वत पुरुष) के नाम से जाना जाता है. उन्होंने अकेले ही 360 फुट लंबी 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊंचे पहाड़ को काटकर सड़क बना डाली थी. 22 वर्षों तक लगातार वह छेनी-हथौड़ा लेकर कोशिश करते रहे और आखिरकार पहाड़ का सीना चीड़कर रास्ता बना दिया. उनकी पत्नी फाल्गुनी देवी (फगुनिया) की पहाड़ से फिसलकर गिरने के कारण मौत हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने रास्ता बनाने की कसम खाई थी.

इंदिरा गांधी के साथ घटना मशहूर: इंदिरा गांधी के साथ उनका एक प्रसंग है कि 1980 में एक रैली के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का मंच टूट गया था. उस समय वहां मौजूद दशरथ मांझी ने उनके टूटते स्टेज को कांधा दिया था. बाद में वह पैदल ही रेलवे ट्रैक के किनारे-किनारे 1000 किलोमीटर का सफर दो महीने में तय करके दिल्ली पहुंच गए. हालांकि उनकी इंदिरा गांधी मुलाकात नहीं हो पाई. बाद में पता चलने पर इंदिरा गांधी ने मदद के रूप में पैसे भी भिजवाईं लेकिन गांव के मुखिया ने सहायता राशि पहुंचने नहीं दिया.