जयपुर । राजस्थान विधानसभा में सीपीए की और से आयोजित सेमिनार में आज मुख्य अतिथि राज्यपाल जगदीप धनखड ने कहा कि ऐसा कोई दिन नहीं जाता है जब मैं पीड़ा महसूस नहीं करता धनखड़ ने कहा कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और सब कानून की मु_ी में ही बंद है। धनखड़ ने मंच से कुछ ऐसा कहा जो राजस्थान को लेकर उनकी पॉजिटिव सोच को दर्शाता है उनके अनुसार दो ही ऐसे पद है जिसमें राष्ट्रपति और राज्यपाल शामिल हैं जो संविधान की मर्यादाओं को बचाए रखने की शपथ लेते है  कई लोग भ्रांति फैलाते हैं कि राज्यपाल इस दायरे के बाहर जाकर काम कर रहा है लेकिन जो शपथ ली है उसमें सब काम और दायित्वों का उल्लेख है. उसी भूमिका में राज्यपाल हम काम करते हैं और किसी शपथ की पालना में अक्सर टकराव हो जाता है. धनकड़ ने विधायकों की स्थिति को लेकर भी टिप्पणी की लेकिन कहा कि मैं यहां राजस्थान के हालातों का कायल हूं फिर चाहें आप जो अर्थ निकाल कर समझो।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि आप यदि उस राज्य के राज्यपाल है जिसकी दिल्ली में सरकार नहीं है तो फिर आप सॉफ्ट टारगेट है आपको केंद्र सरकार का एजेंट तक कहा जाता है और कई आरोप भी लगाए जा सकते हैं. धनखड़ ने कहा कि मेरे मन में बहुत पीड़ा होती है,चिंता भी होती है और मैं चिंतन भी करता हूं कि आखिर कोई मुख्यमंत्री और राज्यपाल सार्वजनिक रूप से कैसे लड़ सकते है। धनकड़ ने कहा राज्यपाल के रूप में मेरा दायित्व है कि मैं सरकार की पूरी मदद करूं ऐसा करता भी हूं. कोशिश करता हूं कि कदम से कदम मिलाकर सरकार के साथ काम करूं लेकिन ताली एक हाथ से नहीं बजती। धनकड़ ने बातचीत को समस्यायों को हल करने में मददगार माना कहा इस दुनिया में ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका समाधान वार्ता और बातचीत से ना हो सके. राज्यपाल के पास केंद्र या राज्य में बैठे किसी जनप्रतिनिधि व्यक्ति की तरह न तो ज्यादा अधिकार होते हैं और न ही व्यक्ति. वो तो वन मैन आर्मी की तरह काम करता है। धनकड़ ने कहा कि मेरा ये मानना है कि राज्यपाल और संवैधानिक पद पर जितने भी लोग बैठे हैं उन्हें संवैधानिक कार्य के अलावा अन्य कार्य मत दीजिए. संविधान निर्माताओं ने ये स्पष्ट भी किया है कि किसका क्या काम है. लेकिन नए कानून बनाकर नए काम दे देते हैं जिनमें एक काम है वाइस चांसलर का अपॉइंटमेंट और उसमें टकराव स्वाभाविक है धनकड़ ने कहा कि संविधान में राज्यपाल के पास वाइस चांसलर की नियुक्ति का अधिकार है और यही टकराव का कारण भी बनता है. धनकड़ ने इस दौरान कहा कि जब मेरे सामने नियुक्ति का मामला आता है तो मैं अपने विवेक से काम करता हूं. लेकिन एक बात का ध्यान रखता हूं माननीय मुख्यमंत्री जी का कोई सजेशन आता है तो मैं दिमाग नहीं लगाता जो नाम वह सजेस्ट करती है वही मानता हूं. उसके बावजूद राज्यपाल के रूप में मुझे सफर करना पड़ा और बिना मेरी नॉलेज के 5 कुलपतियों की नियुक्ति कर दी गई। धनखड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ इशारा करते हुए कहा मैंने इनका भी नाम लिया किस कैटेगरी में तीन से चार ही लोग हैं. मैंने उनसे कहा आपका जो भी सुझाव होगा उसका असर मुझको भी ज्यादा होगा लेकिन जिस दिन केंद्र के लोग या आप इस बात को लेकर आश्वस्त हो जाओगे कि मैं वही करूंगा जो आप कहोगे तो इस कुर्सी पर कोई दूसरा व्यक्ति बैठेगा मैं नहीं बैठूंगा यह मैंने साफ कर दिया। इस अवसर पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री के साथ विधानसभा अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष ने राजस्थान विधानसभा के 4 सर्वश्रेष्ठ विधायकों को सम्मानित किया इसमें साल 2019 के लिए भाजपा के ज्ञानचंद पारक को पुरस्कार दिया गया. साल 2020 के लिए निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा को और साल 2021 के लिए भाजपा विधायक बाबूलाल खराड़ी और कांग्रेस विधायक मंजू मेघवाल को सम्मानित किया गया।