बस कंडक्टर को 8 साल बाद हाई कोर्ट ने किया बहाल
सात रुपए का हिसाब नहीं दे पाने पर बर्खास्त हुआ था कंडक्टर
चेन्नै । मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु राज्य परिवहन निगम (विल्लुपुरम डिवीजन) को फटकार लगाते हुए एक बर्खास्त बस कडंक्टर की बहाली के आदेश सुनाए हैं। दरअसल चेकिंग के दौरान ए अय्यानगर नाम के एक बस कंडक्टर के बैग से 7 रुपए अतिरिक्त मिलने और एक यात्री को टिकट जारी नहीं करने पर उसे 8 साल पहले बर्खास्त कर दिया गया था। निगम ने कहा था कि यह राजस्व हानि थी। न्यायमूर्ति पीबी बालाजी ने वकील एस एलमभारती द्वारा मामले को उठाने और कंडक्टर के लिए निशुल्क मामले पर बहस करने के बाद आदेश जारी किया। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह से यह कल्पना नहीं की जा सकती कि 7 रुपए अधिक राशि ले जाने से निगम के राजस्व को नुकसान होगा। न्यायाधीश ने 10 दिसंबर, 2015 के बर्खास्तगी आदेश को रद्द करने और छह सप्ताह के भीतर अय्यनार की बहाली का निर्देश देने से पहले कहा। दी गई सज़ा अपराध के अनुपात में बिल्कुल असंगत है और यह अदालत की अंतरात्मा को झकझोर देती है। अय्यनार के खिलाफ आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने टिकट राशि के रूप में 5 रुपए प्राप्त करने के बाद एक महिला यात्री को टिकट जारी नहीं किया था। कुल मिलाकर उसके बैग में 7 रुपए अतिरिक्त थे। इसलिए उसने निगम को नुकसान पहुंचाने वाला काम किया और वह निगम के एक जिम्मेदार कर्मचारी के रूप में कार्य करने में विफल रहा। आरोपों से इनकार करते हुए अय्यनार के वकील एलमभारती ने तर्क दिया कि कंडक्टर ने वास्तव में कथित तारीख पर सभी यात्रियों को टिकट जारी किए थे। महिला यात्री जो बस में चढ़ी और उससे 5 रुपए में टिकट खरीदा, उसका टिकट खो गया होगा। जुर्माने से बचने के लिए उसने सारा दोष अय्यनार पर मढ़ दिया।