देश में सरकार आने वाले सालों में इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देने की पुरजोर कोशिश में लगी हुई है। सरकार के इस प्रयास से आने वाले दिनों में नौकरियों में भी इजाफा होने के आसार जताए जा रहे हैं। मैकेंजी और ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के सर्वे के मुताबिक ई-वाहनों में कई जरूरी कंपोनेंट अलग होंगे। कंपोनेंट में बदलावों के बाद भी विशेषज्ञ कई नए क्षेत्रों में नौकरियों के मौके बढ़ने की उम्मीद जता रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक इसका फायदा ऑटो कंपोनेंट कंपनियों को भी हो रहा है। हालांकि, सूचना प्रौद्योगिकी यानी आईटी क्षेत्र में नई भर्तियों पर रोक और छंटनी की शुरुआत ने चिंता बढ़ा दी है।

इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में नौकरियां बढ़ने का अनुमान

देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों में बढ़त के साथ एक तरफ जहां आईसी इंजन से जुड़े कंपोनेंट के उत्पादन को सुस्त करेगी तो वहीं दूसरी तरफ इलेक्ट्रिक मोटर्स, बैटरी सेल और बैटरी सिस्टम की मांग बढ़ेगी। इससे जाहिर है उस दिशा में नौकरियों में भी बढ़त देखने को मिल सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक ऑटो कंपोनेंट क्षेत्र से जुड़ी तमाम कंपनियों ने इलेक्ट्रिक गाड़ियों की तरफ बढ़ते रुझान को देखते हुए कारोबार में बदलाव भी किया है और यह इलेक्ट्रिक मोबिलिटी सॉल्यूशंस प्रदान करने लगी हैं।

घरेलू खपत और निर्यात से नए अवसर बनेंगे

नौकरियों से जुड़ी कंसल्टेंसी कंपनी ग्लोबल हंट के सीईओ सुनील गोयल के मुताबिक देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों में बढ़त से ऑटो क्षेत्र में नौकरियों पर कोई बुरा असर दिखाई देने के आसार कम हैं। उनके मुताबिक देश में 2030 तक 30 फीसदी इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री का लक्ष्य है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे माहौल में देश में घरेलू खपत के साथ साथ विदेश में निर्यात के मोर्चे पर भी आईसी इंजन के कंपोनेंट से जुड़े कारोबार में रोजगार बने रहेंगे। साथ ही नए क्षेत्रों में भी भारत के लिए बड़े मौके होंगे।