वेस्टइंडीज में जारी अंडर-19 विश्व कप में खेल रहे अफगानिस्तान टीम के क्रिकेटर खैबर वली के क्रिकेटर बनने की कहानी किसी सपने के सच होने जैसी है।  खैबर इससे पहले अफगानिस्तान में क्रेडिट कार्ड बेचते थे। खैबर ने इसके बाद भी मेहनत के जरिये यहां तक का सफर तय किया है। अफगानिस्तान के नंगरहार में खैबर सड़कों पर कार्ड बेच रहे थे। तभी उन्हें अपने अंडर-19 एशिया कप के लिए चयन की जानकारी मिली। यह खबर सुनकर खैबर की खुशी का ठिकाना नहीं रहा हालांकि खैबर के लिए अफगानिस्तान टीम तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा। 15 सदस्यों के परिवार में वो ही इकलौते हैं, जो क्रिकेट खेलते हैं। उन्होंने टैप बॉल क्रिकेट से शुरुआत की। इस दौरान किसी ने उनका खेल देखकर क्रिकेट एकेडमी में ट्रेनिंग लेने की सलाह दी। शुरुआत में खैबर को एकेडमी में ट्रेनिंग का आइडिया पसंद नहीं आया पर दोस्तों के कहने पर उन्होंने एकेडमी में दाखिला ले लिया।  इस दौरान घर की आर्थिक हालत अच्छी नहीं होने की वजह से उन्हें अपनी ट्रेनिंग का खर्चा उठाने में परेशानी आने लगी। इसी वजह से अपने क्रिकेटर बनने के सपने को पूरा करने के लिए क्रेडिट कार्ड बेचने का काम शुरु कर दिया। वो दिन में क्रिकेट एकेडमी में जाने लगे जबकि शाम के वक्त नंगरहार की सड़कों पर क्रेडिट कार्ड बेचने लगे। स्टेट टीम में जगह बनाने से पहले खैबर ने कई सालों तक इंटर क्लब, स्कूल और एज ग्रुप टूर्नामेंट खेला। पिछले साल खैबर ने अंडर-19 के लिए ट्रायल्स दिया था और यहां उनकी बल्लेबाजी से कोच काफी प्रभावित हुए। इसके बाद उन्हें अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड की देखरेख में एक महीने के नेशनल कैंप के लिए चुना गया. इसी कैंप से उनकी किस्मत पलटी और पहले उन्हें अंडर-19 एशिया कप और फिर अंडर-19 वर्ल्ड कप की टीम में चुना गया.
उन्होंने अंडर-19 एशिया कप में भारत के खिलाफ हुए मुकाबले में नाबाद 20 रन बनाए थे हालांकि, उनकी टीम यह मैच हार गई थी वहीं, अंडर-19 विश्व कप में उन्हें पापुआ न्यूगिनी और पाकिस्तान के खिलाफ खेलना का मौका मिला. वो पाकिस्तान के खिलाफ तो खाता नहीं खोल पाए पर पापुआ न्यूगिनी के खिलाफ जरूर उन्होंने 30 रन बनाए थे।