छत्तीसगढ़ के स्कूलों में 5 दिन में 40 बच्चे पॉजिटिव
छत्तीसगढ़ में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच स्कूलों पर खतरा मंडरा रहा है। संक्रमण के खतरे को देखते हुए बहुत से अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया है। उनका जोर सुरक्षित ऑनलाइन कक्षाओं पर ही है। वहीं सरकार अभी स्कूलों के संबंध में कोई फैसला नहीं ले पा रही है। कोरोना संक्रमण के हालात पर विभाग की नजर है। वे अभी बाहर हैं इसलिए अभी इसके बारे में कुछ कह नहीं सकते। उनके रायपुर लौटने के बाद समीक्षा होगी। उसके बाद ही स्कूलों के संबंध में कोई फैसला लिया जाएगा। मोवा निवासी दिनेश पांडेय ने बताया कि एक निजी स्कूल में उनकी बेटी 7वीं कक्षा में पढ़ती है। नियमित स्कूल जा रही थी, लेकिन पिछले सप्ताह से रायपुर में संक्रमण बढ़ने के बाद से उसके लिए डर लगने लगा है। स्कूल की तरफ से फोन से सहमति मांगी गई। फिलहाल तो उन्होंने मना कर दिया है। उन्होंने कहा, जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती तब तक ऑनलाइन कक्षाओं से ही पढ़ाई कराई जानी चाहिए।
संतोषी नगर के जितेंद्र ने बताया कि उन्होंने भी अपने दोनों बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया है। वहीं खमतराई निवासी आशुतोष साहू अभी भी बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं। उन्होंने कहा कि थोड़ी चिंता जरूर है, लेकिन उन्होंने महसूस किया है कि ऑनलाइन पढ़ाई में उनके बच्चे सीख नहीं पा रहे हैं। अगर पढ़ाई ठीक से नहीं हुई और परीक्षा केंद्रों पर ली गई तो बच्चों को बहुत मुश्किल आएगी। सरकार कोरोना संकट के बीच पढ़ाई और परीक्षा की नीति स्पष्ट करे तो उनके जैसे लोगों को भी निर्णय लेना आसान होगा।
पिछले सप्ताह रायगढ़ स्थित नवोदय विद्यालय में 35 से अधिक विद्यार्थी और स्कूल स्टाफ कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गया था। संक्रमण के कई मामले सामने आने के बाद स्कूल को कंटेनमेंट जोन घोषित कर आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। दूसरे स्कूलों में भी कोरोना के कई केस सामने आ चुके हैं। पिछले 5 दिनों की बात करें तो प्रदेश के स्कूलों में करीब 40 बच्चे पॉजिटिव मिल चुके हैं। इसके अलावा भी बच्चों में संक्रमण का बढ़ना जारी है। कोरोना संक्रमण की वजह से छोटे बच्चे भी बीमार हो रहे हैं। रविवार को रायपुर में 5 बच्चों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इनकी उम्र 6 से 15 वर्ष के बीच है।
22 नवंबर से पूरी तरह अनलॉक थे स्कूल- राज्य मंत्रिपरिषद ने 22 नवंबर की बैठक में स्कूलों को पूरी तरह अनलॉक करने का फैसला किया था। यानी कक्षाएं अपनी पूरी क्षमता के साथ संचालित की जा सकती थीं। इसके लिए अभिभावकों की सहमति और कोविड प्रोटोकॉल का पालन अनिवार्य किया गया था। पिछले वर्ष 2 अगस्त से स्कूल खुले थे, लेकिन 50% क्षमता के साथ ही कक्षाओं का संचालन हो रहा था।