जयपुर । भारत सरकार ने 23 राज्यों में पर्यटक स्थलों के विकास के लिए 3295 करोड़ रुपये की कुल लागत वाली 40 परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इसके अंतर्गत जयपुर में जल महल का विकास परियोजना का उद्देश्य मौजूदा पर्यटन शैली के अनुरूप इसका सुदृढ़ीकरण और विकास करना है। इसके तहत  नए युग की अपेक्षाओं के अनुरूप इसे साकार करते हुए सांस्कृतिक विरासत के साथ जोड़ने का लक्ष्य भी है। 96.61 करोड़ रुपए लागत की इस परियोजना के प्रमुख अंगों में मान सागर वातन, प्रोमेनेड विकास, नेचर ट्रेल, लैंडस्केपिंग, शिल्प-व्यंजन-उत्सव नाइट बाजार, घूमरो सिंक्रोनाइज्ड वॉटर बैले शो, रिज वॉक और गढ़ गणेश से बलदेव परशुराम मंदिर तक स्काईवॉक शामिल हैं।
 इस परियोजना से 8000 रोज़गारों का सृजन होगा।  इसके साथ ही 250 करोड़ रुपए लागत की 3 पीपीपी परियोजनाएँ प्रस्तावित हैं, जिनमें में गैटोर की छतरियों से नाहरगढ़ तक फनिक्युलर विकास, आमेर से नाहरगढ़ तक केबल कार और जल महल मनोरंजक क्षेत्र शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि जयपुर में मान सागर झील के बीच में स्थित जल महल या वॉटर पैलेस का वास्तुशिल्प विलक्षण है। 18वीं शताब्दी में निर्मित यह संरचना मुगल और राजपूत स्थापत्य शैली का एक बेहतरीन उदाहरण है। महल में पांच मंजिलें हैं जिनमें से चार मंजिलें झील में डूबी हुई हैं जो झील में महल का प्रतिबिंब बनाती हैं। महत्वपूर्ण रूप से उल्लेख है कि जयपुर एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और स्थापत्य कलाओं से आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। गुलाबी शहरÓ के रूप में जाना जाने वाला जयपुर अपनी जीवंत गुलाबी रंग की इमारतों के लिए प्रसिद्ध है जो इसके पुराने इलाकों की हलचल भरी सड़कों को सुशोभित करती हैं। सिटी पैलेस, हवा महल, जंतर मंतर, अल्बर्ट हॉल, जल महल, आमेर किला, जयगढ़ किला और नाहरगढ़ किला जैसे प्रमुख आकर्षण शहर के शाही अतीत, सूक्ष्म वास्तुकला और विस्मयकारी कलात्मकता को प्रदर्शित करते हैं। इसके अतिरिक्त, अरावली पहाड़ियाँ, मान सागर झील, मावठा झील, हनुमान सागर झील, ताल कटोरा और विभिन्न बावड़ियों जैसे प्राकृतिक और मानव निर्मित जल निकाय शहर के परिदृश्य को सुशोभित करते हैं और अत्यंत मनोरम पृष्ठभूमि तथा अग्रभूमि के रूप में इसकी सांस्कृतिक विरासत के भी पूरक हैं।