जयपुर: राजस्थान सरकार ने सरकारी डॉक्टरों द्वारा मरीजों को अनावश्यक रूप से निजी अस्पतालों में रेफर करने पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। यदि किसी डॉक्टर के खिलाफ मरीजों को जबरन निजी अस्पताल में भेजने की शिकायत मिलती है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह घोषणा राज्य के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने विधानसभा में की।

शिकायत मिलने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी

विधानसभा सत्र के दौरान चिकित्सा मंत्री ने कहा कि यदि किसी सरकारी डॉक्टर द्वारा बिना उचित कारण के किसी मरीज को निजी अस्पताल में रेफर किया जाता है और शिकायत दर्ज होती है तो सरकार कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगी।

चिकित्सा संस्थान पीपीपी मोड पर नहीं चलेंगे

चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने सदन में स्पष्ट किया कि वर्तमान सरकार राज्य में चिकित्सा संस्थानों को पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर संचालित करने की योजना नहीं बना रही है।

वर्ष 2021 में चिकित्सा संस्थानों को पीपीपी मोड पर देने की प्रक्रिया को पिछली सरकार ने बंद कर दिया था। इससे पहले राज्य सरकार पीपीपी मोड पर संचालित चिकित्सा संस्थानों में 1.80 लाख से 2.50 लाख रुपये प्रतिमाह खर्च कर रही थी। वर्तमान में भरतपुर जिले में कोई भी चिकित्सा संस्थान पीपीपी मोड पर संचालित नहीं है।