हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का अहम महत्व है. हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन अमावस्या तिथि आती है. इस तिथि पर पितरों की पूजा करने के विधान के साथ ही पितरों का तर्पण और श्राद्ध भी किया जाता है. पंडित घनश्याम शर्मा ने बताया कि सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का बेहद खास महत्व है. इस बार वैशाख अमावस्या 8 मई की होगी. इस तिथि पर पितरों की पूजा-अर्चना करने का विधान है. साथ ही पितरों का तर्पण और श्राद्ध भी किया जाता है.

अमावस्या के दिन पितर आते है धरती पर
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से पितर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं. पंडित शर्मा ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या के दिन पितर धरती पर आते हैं. उनको उम्मीद होती है कि उनके वंश के लोग उन्हें तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध व दान आदि से तृप्त करेंगे. जिन लोगों के पितर तृप्त नहीं रहते हैं, वे श्राप देते हैं जिससे पितृ दोष लगता है. वहीं पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए अमावस्या के दिन पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करनी चाहिए. ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है. मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है.

पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए दान- पुण्य और पशु-पक्षियों की सेवा करें
पंडित घनश्याम शर्मा ने बताया कि वैशाख अमावस्या पर ब्रह्म मुहूर्त में उठे और दिन की शुरूआत देवी-देवताओं के ध्यान से करें. इसके बाद पवित्र नदी या फिर घर में स्नान करें. इसके बाद भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें और पितरों का तर्पण करें. इसके अलावा पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत भी रखें और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए ओउम कुल देवताभ्यों नमः मंत्र का जाप करें. इसके बाद अपनी श्रद्धा के अनुसार गरीबों और जरूरतमंदों को कपड़े, चीनी, अनाज और धन का दान करें. मान्यता है कि दान-पुण्य करने से जातक पर पितरों की कृपा हमेशा बनी रहती है.

अमावस्या का शुभ मुहूर्त ये
वैशाख के माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 8 मई को सुबह 5:40 बजे से होगा. रात 9:08 बजे इसका समापन होगा. स्नान और दान का समय सुबह 8 से दोपहर 12:20 बजे तक रहेगा जबकि पूजा का समय सुबह 8:40 से शाम 7:51 बजे तक रहेगा.